Monday, January 7, 2008

उम्रभरकी दूर उलझन हो गई..

उम्रभरकी दूर उलझन हो गई..
जैसे बेवा फिरसे दुल्हन हो गई..

ताकती रहती है खिडकीसे मुझे..
रौशनी मेरी पड़ोसन हो गई..

रात की तिली जलाई शाम ने..
जलते जलते रात रौशन हो गई..

वक़्तने सुख़ी परोसी जिंदग़ी...
तुझसे दुनिया मेरी सालन हो गई...